On friends and enemies

खुदा की मोहब्बत को फनाह कौन करेगा,
सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा।
ऐ खुदा मेरे दोस्तों को सलामत रखना,
वरना मेरी सलामती की दुआ कौन करेगा।
और रखना मेरे दुश्मनों को भी महफूज़,
वरना मेरी तेरे पास आने की दुआ कौन करेगा।

Lekhika: Shayar Ki Kalam Se !!

On friendship and reasons

बेवजह है तभी तो दोस्ती है।

वजह होती तो साजिश होती।

Bewajah hai tabhi to dosti hai

Wajah hoti to sajish hoti

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं

मैं यादों का किस्सा खोलूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं,

मैं गुजरे पल को सोचूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।

अब जाने कौन सी नगरी में, आबाद हैं जाकर मुद्दत से,

मैं देर रात तक जागूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।

कुछ बातें थीं फूलों जैसी, कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,

मैं शहर-ए-चमन में टहलूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।

सबकी जिंदगी बदल गयी, एक नए सिरे में ढल गयी,

किसी को नौकरी से फुरसत नहीं, किसी को दोस्तों की जरुरत नहीं,

कोई पढने में डूबा है किसी की दो दो महबूबा हैं,

सारे यार गुम हो गये हैं तू से आप और तुम हो गये हैं,

मैं गुजरे पल को सोचूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

On wishes and necessities

सहम सी गईं हैं ख्वाहिशें

ज़रूरतों ने शायद उनसे ऊंची आवाज़ में बात की होगी

On being a traveller


मगर अब ना मैं अपने घर का रहा
सफर का ही था मैं, सफर का रहा

इधर का ही हूं ना उधर का रहा
सफर का ही था मैं, सफर का रहा

शहर शहर फुर्सतों को बेचता रहा
खाली हाथ जाता, खाली लौटता रहा

ये उम्र, वक़्त, रास्ता…गुज़रता रहा
सफर का ही था मैं, सफर का रहा

इधर का ही हूं ना उधर का रहा
सफर का ही था मैं, सफर का रहा


Magar ab na main apne ghar ka raha
Safar ka hi tha main safar ka raha

Idhar ka hi hoon na udhar ka raha
Safar ka hi tha main safar ka raha

Shehar shehar fursaton ko bechta hoon
Khaali haath jaata khaali laut.ta hoon

Ye umr, waqt, raasta…guzarta raha
Safar ka hi tha main safar ka raha

Idhar ka hi hoon na udhar ka raha
Safar ka hi tha main safar ka raha

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