on isolation

ਨਾ ਕਰੋ ਸ਼ਿਵ ਦੀ ਉਦਾਸੀ ਦਾ ਇਲਾਜ
ਰੋਣ ਦੀ ਮਰਜ਼ੀ ਹੈ ਅੱਜ ਬੇਈਮਾਨ ਦੀ

Na karo shiv di udasi da ilaj
Ron di marzi hai aj baiiman di #Shair #Batalvi

(dead link) Source (https://twitter.com/shayari/status/751308487548866560)

On understand the life

गरीबी से उठा हूँ, गरीबी का दर्द जानता हूँ,

आसमाँ से ज्यादा जमीं की कद्र जानता हूँ।

लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया,

मैं मगरूर दरख्तों का हश्र जानता हूँ।

साधारण से विषेश बनना आसाँ नहीं होता,

जिन्दगी में कितना जरुरी है सब्र जानता हूँ।

मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,

छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।

कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,क्योंकि,

आखिरी ठिकाना मैं सिकन्दर का हश्र जानता हूँ।

Shayri

मंदी में पति की लिखी एक कविता अपनी पत्नी को

प्रिय क्यों तुम नए नए सूट सिलवाती हो ?
पुरानी साड़ी में भी तुम अप्सरा सी नज़र आती हो !!

इन ब्यूटी पार्लरों के चक्कर में ना पड़ा करो !
अपने चाँद से चेहरे को क्रीम पाउडर से यूँ ना ढका करो !!!

रेस्टोरेंट होटल के खाने में क्या रखा है ???
तुम्हारे हाथों से बना घर का खाना, इनसे लाख गुना अच्छा है !!!

तुम्हारे मायके जैसा ऐश-ओ-आराम कहाँ!!

नौकरो से खिटपिट में, मत सेहत तुम अपनी ख़राब करो!!
झाड़ू पोछा लगा हल्का  सा व्यायाम करो !!!

सोने चांदी  में मिलती अब सो सो खोट हैं. !!
तुम्हारी सुंदरता ही २४ कैरेट प्योर गोल्ड है !!!

माया-माया मत क्या कर पगली,
यह तो महा ठगिनी है!!
मेरे इस घर- आँगन की तो, तू ही असली धन लक्ष्मी है !!!
Source

In responsibilities

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को,
वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता…..
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, 
पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ।।
मैं शायर तो नहीं: जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं

काश थोड़ा वक़्त होता

बस यही दो मसले, जिंदगी भर ना हल हुए
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए,

वक़्त ने कहा…..काश थोड़ा और सब्र होता
सब्र ने कहा….काश थोड़ा और वक़्त होता,

सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर,

शिकायते तो बहुत है तुझ से ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता|

Source: काश थोड़ा वक़्त होता| | Good Thought

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