On Sunday

​इक इतवार ही है जो रिश्तों को संभालता है

 बाकी दिन तो किश्तों को संभालने में खर्च हो जाते हैं।

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वक्त की धारा

मैंने हर रोज़ ज़माने को रंग बदलते देखा है।
उम्र के साथ ज़िंदगी को ढंग बदलते देखा है।

वो जो चलते थे तो शेर के चलने का होता था गुमान।
उनको भी पाँव उठाने के लिए सहारे को तरसते देखा है।

जिनकी नज़रों की चमक देख सहम जाते थे लोग।
उन्ही नज़रों को बरसात की तरह रोते देखा है।

जिनके हाथों के ज़रा से इशारे से टूट जाते थे पत्थर।
उन्ही हाथों को पत्तों की तरह थर थर काँपते देखा है।

जिनकी आवाज़ से कभी बिजली के कड़कने का होता था भरम।
उनके होठों पर भी जबरन चुप्पी का ताला लगा देखा है।

ये जवानी ये ताक़त ये दौलत सब कुदरत की इनायत है।
इनके रहते हुए भी इंसान को बेजान हुआ देखा है।

अपने आज पर इतना ना इतराना मेरे यारों।
वक़्त की धारा में अच्छे अच्छों को मजबूर हुआ देखा है।

कर सको तो किसी को खुश करो।
दुःख देते तो हज़ारों को देखा है।

कुछ हँस के बोल दिया करो, कुछ हँस के टाल दिया करो

❣कुछ हँस के

     बोल दिया करो,

कुछ हँस के 

      टाल दिया करो,

✍यूँ तो बहुत 

    परेशानियां है 

तुमको भी 

     मुझको भी,

मगर कुछ फैंसले 

     वक्त पे डाल दिया करो,

🏃न जाने कल कोई 

    हंसाने वाला मिले न मिले..

इसलिये आज ही 

      हसरत निकाल लिया करो !!

 समझौता 

      करना सीखिए..

क्योंकि थोड़ा सा  

      झुक जाना 

 किसी रिश्ते को

         हमेशा के लिए 

तोड़ देने से 

           बहुत बेहतर है ।।।

💃किसी के साथ

     हँसते-हँसते

 उतने ही हक से 

      रूठना भी आना चाहिए !

👁❣👁अपनो की आँख का

     पानी धीरे से 

पोंछना आना चाहिए !

      रिश्तेदारी और 

 दोस्ती में 

    कैसा मान अपमान ?

बस अपनों के  

     दिल मे रहना 

आना चाहिए…!💐

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