from मीना कुमारी की शायरी

आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
जब ज़ुल्फ़ की कालिख में घुल जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
हँस हँस के जवान दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे
हर शख्स की किस्मत में इनाम नहीं होता
बहते हुए आंसू ने आँखों से कहा थम कर
जो मै से पिघल जाए वो जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबी बरात लिए कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता

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