बरसात

घर से निकला ही था की बरसात हो गयी
आज मौसम से अचानक यू मुलाकात हो गयी

जाने कब दिखी वो और हम यूँ ही कब तक खड़े
रहे पता भी नहीं चला की यहाँ कब रात हो गयी

यूँ तो तेरे होठों से लगी वो बस बारिश की एक बूँद थी
फिर जाने क्यों मेरी आँखों के लिए वो कायनात हो गयी

मौत भी लौट जाये गर मेरे होठों पे हो वो बूँद
जो तेरे होंठों को छू के आब-ए-हयात हो गयी

Source: बरसात | Apurn

And death shall have no dominion

And death shall have no dominion.

Dead man naked they shall be one

With the man in the wind and the west moon; 

When their bones are picked clean and the clean bones gone,

They shall have stars at elbow and foot;

Though they go mad they shall be sane,

Though they sink through the sea they shall rise again; 

Though lovers be lost love shall not;

And death shall have no dominion.

Source [[and as quoted in Solaris (2002)]]

On friends and nostalgia

​चौराहे पर चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा……

“चाय के साथ क्या लोगे साहब”?

ज़ुबाँ पे लव्ज़ आते आते रह गए

“पुराने यार मिलेंगे क्या”???

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को,

वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता…..

हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, 

पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ..

(WhatsApp)

ख़ुशी खरीद ली

रुई का गद्दा बेच कर

मैंने इक दरी खरीद ली,

ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने

और ख़ुशी खरीद ली ।

सबने ख़रीदा सोना

मैने इक सुई खरीद ली,

सपनो को बुनने जितनी

डोरी ख़रीद ली ।

मेरी एक खवाहिश मुझसे

मेरे दोस्त ने खरीद ली,

फिर उसकी हंसी से मैंने

अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली ।

इस ज़माने से सौदा कर

एक ज़िन्दगी खरीद ली,

दिनों को बेचा और

शामें खरीद ली ।

शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से

और कुछ कम किये, 

फ़िर सस्ते में ही

“सुकून-ए-ज़िंदगी” खरीद ली ।
हिंदी शायरी: ख़ुशी खरीद ली

on taking first step

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें….
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?

Source: DiL kI BaAt – ShAyRi K sAaTh – Timeline

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