पाँव जब भी इधर-उधर रखना
अपने दिल में ख़ुदा का डर रखना
रास्तों पर कड़ी नज़र रखना
हर क़दम इक नया सफ़र रखना
वक़्त, जाने कब इम्तेहां माँगे
अपने हाथों में कुछ हुनर रखना
मंज़िलों की अगर तमन्ना है
मुश्किलों को भी हमसफ़र रखना
Source: आज की ग़ज़ल: दानिश भारती
पाँव जब भी इधर-उधर रखना
अपने दिल में ख़ुदा का डर रखना
रास्तों पर कड़ी नज़र रखना
हर क़दम इक नया सफ़र रखना
वक़्त, जाने कब इम्तेहां माँगे
अपने हाथों में कुछ हुनर रखना
मंज़िलों की अगर तमन्ना है
मुश्किलों को भी हमसफ़र रखना
Source: आज की ग़ज़ल: दानिश भारती