ज़िन्दगी के इस कश्मकश में
वैसे तो मैं काफ़ी बिजी हूँ,
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता!
जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की,
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है,
पर जहाँ से अपने ना दिखें, वो ऊंचाई किस काम की!!
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