“कल” खो दिया “आज” के लिये;
“आज” खो दिया “कल” के लिये
कभी जी ना सके हम “आज” “आज” के लिये ;
बीत रही है जिदंगी, कल, आज और कल के लिये…!!
“कल” खो दिया “आज” के लिये;
“आज” खो दिया “कल” के लिये
कभी जी ना सके हम “आज” “आज” के लिये ;
बीत रही है जिदंगी, कल, आज और कल के लिये…!!