बरसात

घर से निकला ही था की बरसात हो गयी
आज मौसम से अचानक यू मुलाकात हो गयी

जाने कब दिखी वो और हम यूँ ही कब तक खड़े
रहे पता भी नहीं चला की यहाँ कब रात हो गयी

यूँ तो तेरे होठों से लगी वो बस बारिश की एक बूँद थी
फिर जाने क्यों मेरी आँखों के लिए वो कायनात हो गयी

मौत भी लौट जाये गर मेरे होठों पे हो वो बूँद
जो तेरे होंठों को छू के आब-ए-हयात हो गयी

Source: बरसात | Apurn

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