मैं यादों का किस्सा खोलूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं,
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
अब जाने कौन सी नगरी में, आबाद हैं जाकर मुद्दत से,
मैं देर रात तक जागूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
कुछ बातें थीं फूलों जैसी, कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मैं शहर-ए-चमन में टहलूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
सबकी जिंदगी बदल गयी, एक नए सिरे में ढल गयी,
किसी को नौकरी से फुरसत नहीं, किसी को दोस्तों की जरुरत नहीं,
कोई पढने में डूबा है किसी की दो दो महबूबा हैं,
सारे यार गुम हो गये हैं तू से आप और तुम हो गये हैं,
मैं गुजरे पल को सोचूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।